Ranveer Rana: An Unwritten Destiny
Ranveer Rana: An Unwritten Destiny
रणवीर राणा: एक अलिखित नियति
वीरू, जिसका असली नाम रणवीर राणा था, एक बेहद गरीब परिवार का सबसे होशियार लड़का था। उसके पिता दिन भर फैक्ट्री में काम करते थे और माँ दूसरों के घरों में सफाई का काम करती थीं।
दोनों की आँखों में बस एक ही सपना था—कि उनका बेटा सरकारी नौकरी पाकर उनकी गरीबी दूर करेगा। वीरू भी इस बात को बखूबी जानता था और इसीलिए पढ़ाई को ही अपनी दुनिया मानता था। उसका बड़ा भाई उदय राणा पढ़ाई में कमजोर और गुस्सैल स्वभाव का था, जो आए दिन झगड़ों में फँसा रहता था।
वीरू की दुनिया में एक ही इंसान था, जो उसके सपनों को समझता था—उसकी क्लासमेट प्रतिभा। दोनों ने एक साथ कॉलेज में एडमिशन लिया। एक बार एग्जाम के दौरान, प्रतिभा ने वीरू से एक सवाल का जवाब पूछा, लेकिन वीरू ने उसे अनदेखा कर दिया। बाद में जब प्रतिभा ने शिकायत की, तो वीरू ने कहा, "यार प्रतिभा, मेरी पढ़ाई मेरे माँ-बाप का सपना है, मैं उसे खतरे में नहीं डाल सकता।" प्रतिभा उसकी बात समझ गई और दोनों ने अपने भविष्य के सपने एक साथ देखे।
आज, वीरू की मेहनत का फल मिलने वाला था। रिजल्ट का दिन था। वीरू को प्रतिभा के साथ कॉलेज के लिए निकला ही था कि अचानक उनके घर के बाहर एक गाड़ी के हॉर्न की तेज आवाज़ आई। गाड़ी से तीन बदमाश निकले, जो उदय से अपने पैसे लेने आए थे।
बातचीत गाली-गलौज और मारपीट में बदल गई। प्रतिभा ने वीर को उसके भाई की मदद करने को कहा। वीरू अपने भाई को उनसे छुड़वाने की कोशिश करता है , तभी उदय ने एक खंजर निकाला और एक बदमाश के पेट में घोंप दिया। यह सब देखकर वीरू के हाथ-पाँव सुन्न हो गए। बिना कुछ सोचे-समझे, वह प्रतिभा के साथ कॉलेज चला गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
कॉलेज पहुँचते ही वीरू का दिल खुशी से झूम उठा। उसका नाम टॉपर्स की लिस्ट में था। तभी, पीछे से कुछ पुलिसवाले आए और उसे बेरहमी से पीटने लगे।
"हरामजादे, मर्डर करके भाग रहा है?" एक पुलिसवाले ने चिल्लाकर कहा।
वीरु अपनी बेगुनाही की दुहाई देता रहा, पर कोई नहीं सुना। पुलिस उसे घसीटते हुए जीप की तरफ ले जाने लगी।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान, सारे सबूत वीरु के खिलाफ थे। गवाहों और सबूतों ने उसे ही कातिल साबित कर दिया। उसकी बेगुनाही की दलीलें किसी ने नहीं मानीं। कुछ ही दिनों बाद, उसे उम्रकैद (ज़िंदगी भर की कैद) की सज़ा सुनाई गई।
यह फैसला सुनते ही वीरू के सारे सपने चकनाचूर हो गए। जिस सरकारी नौकरी और उज्ज्वल भविष्य का सपना उसने देखा था, वह पल भर में राख हो गया। उसकी आँखों के सामने बस एक गहरा अंधेरा छा गया, जिसके बाद उसे कुछ नहीं दिखा। उसकी जिंदगी अब जेल की चारदीवारी तक सिमट कर रह गई थी।लेकिन कहानी यहीं ख़त्म नहीं होती। जेल की इन चार दीवारी में, वीरू की ज़िंदगी पूरी तरह से बदल जाती है।"
यह कहानी का पहला हिस्सा है, और अभी कई हिस्से बाकी हैं। रणवीर राणा की कहानी को जानने के लिए पढ़ते रहिए...
Follow Us On : - Instagram Facebook YouTube
Next part??
ReplyDelete👍👍
ReplyDeleteThe beginning of the story looks good, now I am waiting for the second part, what will happen next, please upload the next part soon👏👏☺️
ReplyDelete❤️👏👍
ReplyDelete