Heart's Final Port
Heart's Final Port ( School Love Story )
"अंत में सब कुछ अच्छा हो जाता है, और अगर सब कुछ अच्छा न हो, तो वह अंत नहीं है।"
पल्लवी👰 अब बड़ी हो चुकी थी। अभय ने भी पल्लवी को पाने की आस छोड़ दी थी। कॉलेज पूरा होने के बाद, अभय की क्लास का एक दोस्त उसे एक ऐसे सेंटर लेकर गया जहाँ सरकार की ओर से कई निःशुल्क (free) कोर्स उपलब्ध थे। अभय ने उसमें दाखिला ले लिया। वहाँ
अभय की मुलाकात मानवी और अनु से हुई। सेंटर में जो सर पढ़ाते थे, वह अभय को तो अच्छी तरह समझ आ जाता था, लेकिन अनु और मानवी को सब कुछ सिर के ऊपर से जाता था। इसलिए, मानवी और अनु अभय के पास बैठने लगीं। पहले वे दोनों सहेलियाँ थीं, लेकिन अभय से घुलने-मिलने के बाद अनु को लगने लगा कि अभय मानवी को चाहता है, जबकि मानवी को लगता था कि अभय अनु को चाहता है।
एक बार मानवी ने अभय से पूछा, "तुम लंच नहीं लेकर आते क्या?" अभय ने मज़ाक में कहा, "तुम लेकर आया करो मेरे लिए खाना।" मानवी ने कहा, "ठीक है।" तब से मानवी रोज़ अभय के लिए खाना लेकर आने लगी थी।
मानवी तीन दिनों तक अभय के लिए खाना लाती रही। लेकिन अब अभय को यह अच्छा नहीं लगा। उसने सोचा, "बेचारी रोज़ मेरे लिए खाना लाती है, शायद अपने लिए लाती होगी, पर मुझे दे देती है।" अभय ने एक दिन मानवी को पास बुलाकर कहा, "यार, मैं तो मज़ाक कर रहा था। प्लीज, खाना मत लाया करो।" मानवी ने कहा, "कोई बात नहीं।" अभय ने फिर ज़ोर देकर कहा, "नहीं यार, प्लीज़।"
दूसरी ओर, पल्लवी और रोमा की भी सालों की दोस्ती गहरी हो गई थी। वे साथ कॉलेज जाती थीं और साथ ही घर आती थीं। अभय, रोमा से फोन पर बातें करते हुए अक्सर पल्लवी के बारे में पूछता था।
( एक बार जब अभय रोमा से बात कर रहा होता है )
अभय: "पल्लवी कैसी है?"
रोमा: "ठीक है... वो, पल्लवी ..."
रोमा कुछ बताने ही वाली थी कि अचानक उसकी आवाज़ खामोश हो गई। अभय ने पूछा, "क्या हुआ? क्या बात है?" लेकिन दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। रोमा ने बस इतना कहा, "कुछ नहीं, बस वो... थोड़ा व्यस्त है।"
अभय को समझ नहीं आया कि रोमा ने अचानक बात क्यों काट दी। क्या पल्लवी के जीवन में कुछ ऐसा हो गया था जो रोमा उसे बताना नहीं चाहती थी? या शायद, यह सिर्फ़ एक संयोग था? अभय के मन में कई सवाल घूमने लगे, लेकिन जवाब कहीं नहीं था।
रोमा का अचानक ऑफ़लाइन हो जाना अभय के मन में एक बेचैनी छोड़ गया। वह पूरी रात सोचता रहा कि रोमा क्या कहने वाली थी। क्या यह पल्लवी के बारे में ही था?
अगले दिन, अभय की फिर से रोमा से बात हुई।
रोमा: "वो... मैं बोल रही थी, अभय।" अभय: "हाँ, बताओ।" रोमा: "कुछ नहीं..." अभय: "प्लीज़, बताओ।" रोमा: "भाई, पल्लवी की शादी है ,6 महीने बाद ।"
यह सुनते ही अभय की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया। वह आईने के सामने खड़ा हो गया। जैसे वह खुद से ही बातें कर रहा हो, "बोल, है कोई जवाब?"
अगले दिन अभय सेंटर गया। क्लास ख़त्म होने के बाद, अनु उसके पास आकर बैठ गई।
अनु: "मानवी से तेरी बात चालू है क्या?" अभय: (थोड़ा गुस्से में) "यार, दिमाग़ ख़राब मत कर।" अनु: "क्यों?" अभय: "यार, मुझे नहीं बनानी कोई गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड।"
इसके बाद, अभय और अनु सेंटर से बाहर कुछ खाने चले गए। अभय को हर बात पर गुस्सा आ रहा था।
शाम को अभय और महेश बातें कर रहे थे। तभी अनिल फ़ोन पर अपनी गर्लफ्रेंड से बात करता हुआ आया। अनिल ने अभय को कहा, "लो, अपनी भाभी से बात करो।" अभय ने मना कर दिया। अनिल बात ख़त्म करके थोड़ी दूरी पर खड़ा हो गया।
महेश: "और सुना भाई, क्या चल रहा?" अभय: "बेकार चल रहा।" महेश: "कुछ हुआ क्या?" अभय: "नहीं।"
महेश के गाँव का एक और लड़का वहाँ बैठा था। उसने कहा, "इसकी गर्लफ्रेंड रूठ गई होगी इससे। अरे छोड़ भाई, एक गई तो दूसरी आ जाएगी, दफ़ा कर उसको।"
यह सुनते ही अभय को इतना गुस्सा आया कि उसने उस लड़के को ज़ोर से थप्पड़ मार दिया।
अभय: "क्या? बोल क्या रहा है तू?" महेश: (अभय को रोकते हुए) "अरे, रहने दे अभय।"
महेश ने उस लड़के को वहाँ से जाने को कहा। अनिल बात ख़त्म करके वापस आ गया और पूछा, "क्या हो गया?"
महेश: "अरे कुछ नहीं, भाभी की याद आ रही है भाई को।" अनिल: "यार, देख अभय, कब तक ऐसे पागलों की तरह पल्लवी-पल्लवी करता रहेगा? हमें देख, कोई आए कोई जाए, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।"
रात हो गई और अभय घर आ गया। बिस्तर पर लेटे हुए अभय सक्षम के बारे में सोचने लगा। सोचते-सोचते अभय को गुस्सा आ गया। वह बोला, "इस सक्षम की तो..." यह कहकर उसने अपना फ़ोन बिस्तर पर फेंक दिया और सोचते-सोचते सो गया।
अगले दिन अभय सेंटर गया। वहाँ उसके दोस्त सब अपनी-अपनी गर्लफ्रेंड से बातों में लगे थे। अभय उन्हें देखकर सोच रहा था, "मैं ही अकेला हूँ बस। बाक़ी सबकी मौज है।"
क्लास लगी हुई थी। सर पढ़ा रहे थे, लेकिन अभय अपने आप में खोया हुआ था।
अभय: (मन में, गुस्से से) "पल्लवी, पल्लवी, पल्लवी... कल से यही कर रहा हूँ।"
तभी सर ने अभय से एक सवाल पूछा, लेकिन अभय अपने ख्यालों में ही खोया हुआ था। सर ने थोड़ी ऊँची आवाज़ में दोहराया, तो अभय का ध्यान एकदम से गया। सब हँसने लगे। सर ने कल पढ़ाए गए विषय को समझाने के लिए कहा, लेकिन अभय ने कहा, "सर, वो तो याद नहीं रहा।" सर ने पूछा, "और किसी को पता है?" जब किसी ने जवाब नहीं दिया, तो सर ने खुद ही समझाना शुरू कर दिया।
जब अभय घर जा रहा था, तो उसके सोशल अकाउंट पर एक लड़की के पोस्ट लाइक करने का नोटिफिकेशन आया। उस समय अभय ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया। घर पहुँचकर वह खाना खा रहा था, तभी महेश का फ़ोन आया, "चल वॉक करने चलते हैं।" खाना खाकर अभय महेश के साथ सैर करने चला गया।
सैर के दौरान अभय ने अपना फ़ोन देखा, तो उसे उसी लड़की द्वारा पोस्ट लाइक करने का नोटिफिकेशन फिर से आया। अभय सोचने लगा, "कौन है ये?"
कुछ देर बाद
अभय के पास उस लड़की का मैसेज आया: "Hi..." अभय ने महेश से पूछा, "देख, कौन है ये?" महेश: "पूछ ले तू।" अभय: "आप कौन?" लड़की: "मैं वंशिका।" अभय: "कौन वंशिका? मैं नहीं जानता।" वंशिका: "आपने अपनी पोस्ट्स अच्छी डाली हुई हैं।" अभय: "Thanks." वंशिका: "आप कहाँ रहते हो?" अभय: "अमेरिका।" (मज़ाक में) अभय ने पूछा, "आप कहाँ से हो?" वंशिका: "दिल्ली से।"
महेश, अभय से बोला, "कॉल करने को पूछ।" अभय ने उससे पूछा, "आप कॉल पर बात कर सकती हैं?" वह लड़की कॉल करती है।
लड़की: "Hi..." अभय: (महेश से फुसफुसाते हुए) "यार, ये तो सच में लड़की है।" अभय: "आप मुझे जानती हो?" वंशिका: "नहीं।" अभय: (महेश से) "यार, ये मुझे नैंसी की फ्रेंड लग रही है कोई।"
वंशिका, अभय के साथ मज़ाक करने लगी। महेश ने अभय को वंशिका से उसकी तस्वीर शेयर करने को कहा। वंशिका अपनी इमेज सेंड करती है।
महेश: "लड़की तो सुंदर है।" अभय: (मुस्कुराते हुए, एक गहरी साँस लेकर) "पल्लवी से सुंदर नहीं।"
अभय भी अब वंशिका की बातों का जवाब देने लगा। इसी तरह, दोनों के बीच बातें होने लगीं। अभय एक हफ़्ते तक वंशिका से बातें करता रहा।
एक हफ़्ते बाद:
वंशिका ने अभय से पूछा, "तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?" अभय ने पहले पल्लवी के बारे में सोचा और फिर "नहीं" कह दिया। इसके बाद उन दोनों के बीच बातें होने लगीं।
एक महीने बाद:
वंशिका और अभय की बातें हो रही थीं। लेकिन फिर अभय का मन हुआ कि वह वंशिका को पल्लवी के बारे में बताए। जैसे ही अभय ने बताना शुरू किया, उसे रोमा की बात याद आई। अभय की आँखों से आँसू निकल आए और वह पल्लवी के बारे में नहीं बता पाया।
इस तरह, वंशिका और अभय के बीच बातें चलती रहीं...
बात करते-करते चार महीने बीत गए। एक शाम अभय और उसके दोस्त रात को बैठे थे। अभय वंशिका से बात कर रहा था, तभी अनिल बोला, "शुक्र है इस पल्लवी से तो पीछा छूटा, दिमाग़ ही ख़राब करके रख दिया था।"
अभय: (गुस्से में) उसको कुछ बोलने की ज़रूरत नहीं है। अनिल: क्यों, क्यों ना बोलूँ? कौन है पल्लवी? क्या लगती है तेरी? ऐसी लड़की की तरफ़ तो थूक देना चाहिए, जो प्यार ही न समझे।
अभय को गुस्सा आ जाता है और वह अनिल की कमीज़ का कॉलर पकड़ लेता है।
अभय: (चिल्लाकर) अगर पल्लवी से मिलने की वजह तू न होता, तो मैं तेरा वो हाल करता कि तू याद रखता। रवि: (बीच-बचाव करते हुए) अरे, छोड़ यार। क्यों बात-बात पर लड़ाई करने लगता है? रात काफ़ी हो गई है, चलो सब घर चलते हैं।
अभय घर जा रहा था। बाइक चलाते हुए वह पल्लवी की यादों में खो जाता है, कि अगले महीने उसकी शादी है, और वह रोने लगता है। आगे से एक गाड़ी आ रही होती है। वह हॉर्न बजाती है, लेकिन अभय का ध्यान नहीं होता और वह गाड़ी से टकरा जाता है।
अभय के सिर और पैर में चोट आती है। उसे अस्पताल ले जाया जाता है। अभय एक हफ़्ते तक अस्पताल में भर्ती रहता है।
जब अभय को अस्पताल से छुट्टी मिलती है, तो रोमा अभय को फ़ोन करती है।
रोमा: भाई, हमारी बस ख़राब हो गई है। क्या तुम मुझे लेने आ सकते हो? अभय: हाँ, अभी आया।
अभय रोमा के पास जाता है, लेकिन वहाँ कोई बस नहीं होती। अभय रोमा से पूछता है, "कहाँ है बस?"
रोमा: बस तो चली गई। अभय: (उदास होकर) अच्छा।
अभय उदास मन से पूछता है, "किस दिन है शादी?"
तभी पीछे से पल्लवी आकर बोलती है, "कभी नहीं।"
पल्लवी अभय की है और अभय के साथ ही जाएगी। यह कहकर वह अभय के गले लग जाती है। अभय इतनी ज़ोर से रोता है कि बारिश आ जाती है। रोमा मुस्कुराते हुए उनकी नज़र उतारती है।
और इस तरह, उन दोनों का मिलन हो जाता है।
HAPPY ENDING💖
Script Idea - Team AB
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