दिल की बात, अधूरी रह गई - Best school love story

दिल की बात, अधूरी रह गई  - भाग 1

कहते है 💓प्यार ज़िंदगी में सिर्फ एक बार होता है जिसको मरते दम तक नहीं भूलाया जा सकता।  हम सब की ज़िंदगी में एक पल ऐसा जरूर आता है जब हमे किसी से 💖प्यार हो जाता है । उसके बाद दुनिया की हर खुशियां उसके आगे फीकी  पड़ने  लगती है , और अगर वो प्यार स्कूल का हो तो क्या 😋कहने । प्यार में व्यक्ति निस्वार्थ भाव से केवल उसी व्यक्ति की खुशियों  के बारे में सोचता है जिससे उसको 💓प्यार होता है। अक्सर बहुत कम मोके होते है जिसमे दोनों पक्ष को एक दूसरे से प्रेम होता है। आमतौर पर प्यार एक तरफ़ा  होता है।  इस कहानी का मूल आधार भी यही है, जहाँ एक स्कूली 👦लड़का अपने प्यार को  दिल की बात नहीं कह पता ,उसके दिल की बात अधूरी रह जाती है।  

 

 👦अभय जो 15 वर्ष का था ,पास वाले गांव में पढ़ने जाता था। वह दसवीं कक्षा में था  रिंकू ,रवि ,महेश और अनिल  ये सब उसके मित्र थे जो उसी क्लास में थे। ।  चारो एक ही कक्षा में थे और क्लास में हमेशा साथ रहते थे।  कहानी की नायिका 12 वर्ष की  एक प्यारी सी लड़की  👰पल्ल्वी थी । पल्ल्वी सातवीं क्लॉस में थी।  उसकी मासूमियत और हँसी में कुछ ऐसा जादू था की हर कोई उसकी तरफ खींचा चला आता था।  पल्ल्वी उसी गांव से थी जहा पर स्कूल था।   

   एक दिन संस्कृत की क्लास का समय होता है , सर  संस्कृत के छात्रों से बहार 🌴पेड़ की छाया  में बैठने के लिए कहते है।  विधालय के नियम के अनुसार हर स्टूडेंट को अपने साथ मैट लेके आना पड़ता था , लेकिन अभय को मैट लाना पसंद नहीं था क्योंकि वह अनिल के साथ बैठ जाया करता था  लेकिन उस दिन अनिल भी मैट लाना भूल जाता है। अनिल अभय से कहता है - " यार आज तो मैं भी मैट लाना भूल गया"  दोनों किसी अन्य से मैट लेने की सोचते है।  दोनों एक जगह पर खड़े हो जाते है।  👰पल्ल्वी और उसकी सहेली 👩रोमा वहां  से गुजर रही होती है, तभी अनिल उनको मैट के लिए पूछ लेता है।  पल्ल्वी पहले तो शरारत से कहती है , " फिर हम कैसे बैठेंगे ? " लेकिन फिर एक प्यारी से मुस्कान के साथ अपने बैग से मैट निकाल कर अभय को दे देती है।  अभय मैट की बजाये उसको ही देखता रहा जाता है।  अभय मन ही मन बोलता है , " यार क्या में सपना देख रहा हु , इतनी 😃प्यारी लड़की !!!" अभय के दिल की धड़कन तेज हो जाती है।                                                                                                                         

school love story 2025

 अभय के चेहरे से पूरा दिन मुस्कान नहीं जाती।  सर संस्कृत पढ़ा रहे होते है , लेकिन अभय पल्ल्वी के ख्यालो में ही खोया हुआ होता है।  बार बार अभय उसी पल को याद करता रहता है जब उसने 👰पल्ल्वी को देखा था। इसी  तरह गणित , विज्ञानं और सामाजिक की क्लास पूरी हो जाती है लेकिन अभय तो बस 👰पल्ल्वी के ख्यालो में ही खोया हुआ होता है।  लंच का समय होता है सभी दोस्त बैठ कर नमकीन खा रहे होते है लेकिन तब भी अभय पल्ल्वी के बारे में ही सोचता रहता है , उसको देखकर सभी दोस्त पूछते है , "क्या हो रहा है ", इस पर 👦अनिल बोलता है, " मुझे पता है ऐसे क्या हुआ है "इतना बोलते ही अनिल चुप हो जाता है ।  

अगले दिन , अभय हिम्मत करके पहले पीरियड में ही👰 पल्ल्वी की कक्षा में जाकर उससे मैट मांगता है।  पल्ल्वी पुनः वही बात दोहराती है  , " फिर हम कैसे बैठेंगे ? " अभय को लगता है की शायद वह अबकी बार मैट नहीं देगी , लेकिन पल्ल्वी 😊मुस्कराते हुए अपनी मैट अभय को दे देती है, और खुद रोमा के साथ बैठ जाती है।  अभय 😊मुस्कराता हुआ क्लास की तरफ जाता है।  वह  मन ही मन ऐसा अनुभव करता है जैसे उसने कोई कीमती चीज़ प्राप्त कर ली हो।  लंच का समय होने तक अभय उसी मैट पैर बैठा रहता है।  उसका ध्यान बार - बार 👰पल्ल्वी की क्लास की तरफ होता है।  अभय को लगता है की जैसे पल्ल्वी भी उसे देख रही हो , लेकिन शायद यह उसका भ्रम था।  

छुट्टी होने के समय , 👦अभय अपने दोस्त अमन के साथ चल रहा होता है ,तभी पल्ल्वी उनके पास से होकर जाने लगती है ,और अमन के साथ मज़ाक करने लगती है।  अभय 👰पल्ल्वी को देखकर अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा होता है।  घर पहुंचने पर भी जब वह स्कूल का होमवर्क करता है ,तो सोचता है की रात जल्दी से निकल जाये ,कल फिर स्कूल जाकर पल्ल्वी का चेहरा दिखेगा।  वह हर उस पल को 😊याद कर रहा होता है जिसमें वह पल्ल्वी से मिला था।  

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कहानी में नया मोड़

अगले दिन, 👰पल्लवी की क्लास का एक लड़का, जो अभय के गाँव का था और उसका दोस्त भी था, आकर अभय को बोला, "पल्लवी कह रही थी कि अभय मेरी तरफ़ देखकर क्यों हँसता रहता है?" अभय को यह सुनकर धक्का लगा। उसकी सारी खुशी एक पल में छिन गई। उसे लगा जैसे उसने कोई बहुत बड़ी ग़लती कर दी हो। वह उदास हो गया। उस दिन वह 👰पल्लवी की बजाय किसी और लड़की से मैट लेकर गया। 👰पल्लवी ने जब यह देखा, तो उसके चेहरे पर उदासी छा गई। शायद उसे भी थोड़ा बुरा लगा था कि अभय ने उससे मैट क्यों नहीं ली।

इसके बाद कई दिनों तक अभय और पल्लवी की बात नहीं हुई। अभय जानबूझकर पल्लवी से दूर रहने लगा था। उसे लगा कि वह उससे दूर रहेगा तो शायद पल्लवी को भी बुरा नहीं लगेगा। लेकिन, अभय का दिल हर पल पल्लवी को ढूँढ रहा था।

अचानक एक दिन, अभय जब बाहर ग्राउंड में क्लास के लिए जा रहा था, तो उसने उसी दोस्त से कहा कि किसी से मैट माँगकर लाए। वह लड़का पल्लवी से ही मैट माँगकर लाया। अभय उस पर गुस्सा हो गया और बोला, "मैंने तुझे कहा था कि उससे मैट मत लाना।" लेकिन अंदर ही अंदर वह बहुत खुश हो रहा था। पल्लवी भी दूर से उन्हें देख रही थी और उसे आश्चर्य हुआ कि इतने दिनों बाद अभय ने आज कैसे मैट माँग ली।


एक नया अहसास

26 जनवरी को स्कूल में फंक्शन था। अभय को नहीं पता था कि पल्लवी ने भी उसमें हिस्सा लिया है। जब पल्लवी और उसकी सहेलियाँ डांस कर रही थीं, तो अभय की आँखें खुली की खुली रह गईं। वह मुस्कुराता हुआ बस पल्लवी का डांस देखता रहा। उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। उसे लगा जैसे पल्लवी को भी पता हो कि वह उसे देख रहा है। कुछ दिनों बाद अभय को पता चला कि अनिल ने उस डांस का वीडियो बनाया था, और उसने अनिल से वह वीडियो ले लिया। वह रात को अकेले बैठकर उस वीडियो को देखता था और पल्लवी की मुस्कान को याद करता था।

एक दिन, पल्लवी स्टेज के पास किसी दूसरे लड़के के पास बैठी हुई थी। यह देखकर अभय को बहुत बुरा लगा। उसका दिल टूट सा गया। वह भी स्टेज के पास आकर बैठ गया। पल्लवी उस लड़के के पास से उठकर अभय से थोड़ी दूर, बाईं तरफ़ बैठ गई। पल्लवी ने एक लड़के से कहा, "ओए, इसको बोलना।" वह लड़का अभय को बोलता है, "यह कुछ बोल रही है।" जब अभय पल्लवी की तरफ़ देखता है, तो वह अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर लेती है। इस तरह पल्लवी बार-बार यह शरारत करती है। अभय को लगा जैसे वह जानबूझकर उसे परेशान कर रही है।

इसके बाद अभय की गणित की क्लास का समय हो गया। क्लास के बाद, अभय क्लासरूम के दरवाज़े पर खड़ा था। पल्लवी सामने से गुज़रती हुई उससे पूछती है, "तुमको भी समोसे मिले क्या?" अभय गर्दन हिला देता है, तो पल्लवी हँसती हुई कहती है, "हाए!" यह सुनकर अभय के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। उसे लगा जैसे पल्लवी भी उसे पसंद करती हो, लेकिन क्या यह सच था?


एक अधूरा एहसास

एक दिन अभय की क्लास के बच्चे पार्क में बैठे थे। पल्लवी वहाँ से पानी के नल की तरफ़ जा रही थी। उसे देखकर अभय की क्लास के बच्चे कहते हैं, "कितनी सुंदर है यह लड़की! बड़ी होकर और भी ज़्यादा सुंदर बनेगी।" अभय उनकी बात सुनकर मुस्कुरा देता है। उसे लगता है कि उसकी पसंद बिल्कुल सही है।

एक दिन पल्लवी और उसकी सहेलियाँ वॉलीबॉल से खेल रही थीं, तभी कुछ लड़के आकर उनसे बॉल छीन लेते हैं। अभय को दूर से यह दिख जाता है। वह अनिल के साथ वहाँ जाता है। अनिल उन लड़कों से कहता है कि चुपचाप बॉल इन लड़कियों को दे दो। वे बॉल पल्लवी और उसकी सहेलियों को दे देते हैं। पल्लवी खुश हो जाती है, और उसे खुश देखकर अभय खुश हो जाता है। उसे लगता है कि वह पल्लवी के लिए कुछ तो कर पाया।

कुछ दिनों बाद अभय के इम्तिहान शुरू हो जाते हैं, और उसका स्कूल पूरा हो जाता है। अभय को इस बात का बहुत पछतावा होता है कि वह कभी पल्लवी को अपने दिल की बात नहीं कह सका।

यह कहानी का पहला हिस्सा है, और अभी कई हिस्से बाकी हैं। इस प्यार की दास्तान को जानने के लिए पढ़ते रहिए...

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Comments

  1. Bhai mera nam ni aaya khi

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    1. Brother this is a fictional story made for entertainment purpose

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  2. ♥️♥️♥️

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  3. 💓💓💓👍

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